Monday, March 23, 2015


बहुओं को भी फायरिंग की ट्रेनिंग देता है नक्‍सल हमले का शिकार शाहदेव परिवार


नक्‍सलियों के द्वारा क्रूरता को अंजाम किस कदर किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण लोहरदगा जिले के किस्‍को प्रखंड के मुरमू गांव में मिली, जब नक्‍सलियों ने एक ही परिवार के तीन लोगों क्रमश बालकेश्‍वर लाल शाहदेव, छोटे भाई जयकिशोर नाथ शाहदेव तथा उनके बेटे प्रमोद नाथ शाहदेव को गोलियों से छलनी कर दिया। झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्‍यक्ष बालमुकुंद लाल शाहदेव के परिवार में से तीन की हत्‍या से पूरे झारखंड में सनसनी फैल गई है। मुरमू गांव की वह हवेली  पर आज भी नक्‍सलियों के हमले के निशान पाए गए हैं। यहां पर बहुओं को फायरिंग की ट्रेनिंग दी जाती थी, ताकि नक्‍सलियों का वह लोहा ले सके। हवेली मौजूद सभी लोग हथियार चलाने में पारंगत थे। इसलिए नक्‍सली इधर की ओर रूख भी नहीं करते थे।

झारखंड के लातेहार में शनिवार की रात नक्‍सलियों ने एक परिवार के जिन तीन लोगों की हत्‍या कर दी थी, वे पूरे इलाके में नक्‍सलियों के कट्टर दुश्‍मन और ग्रामीणों के जानी दोस्‍त के रूप में जाने जाते थे। झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ठाकुर बालमुकुंद नाथ शाहदेव के दो भाइयों और एक भतीजे की हत्‍या माओवादियों ने जनअदालत लगा कर कर दी थी। शाहदेव परिवार 25 साल से माओवादियों के खिलाफ डटकर खड़ा है। परिवार में 50 से ज्‍यादा लाइसेंसी हथियार हैं। यहां तक कि परिवार में नई बहू आती है तो उसे सबसे पहले हथियार चलाना सिखाया जाता है, ताकि मौका आने पर वे भी माओवादियों से लोहा ले सकें। लेकिन यह पहला मौका है जब परिवार के तीन लोग एक साथ मौत के घाट उतार दिए गए। हाल के दिनों में रांची के आसपास नक्सलियों द्वारा इस प्रकार के नरसंहार की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया है।
मुरमू में शाहदेव परिवार की पुश्‍तैनी हवेली अभी भी अभेद्य किला है। परिजनों के अनुसार 1990 में ठाकुर बालमुकुंद शाहदेव के छोटे भाई विजय किशोर शाहदेव पर हमला हुआ था। उसके बाद से कई बार आस पास यहां हवेली के पास ही 1991 से स्थापित पुलिस पिकेट्स की ओर फायरिंग आदि की घटनाएं हुई है। लेकिन परिवार ने हार नहीं मानी। यहीं वजह है कि परिवार हमेशा से माओवादियों के निशाने पर रहा। इस बार घटना के बाद रविवार को मुरमू पुलिस पिकेट से बाहर तक नहीं निकली। जबकि, पिकेट से महज 200 मीटर की दूरी पर शाहदेव परिवार की हवेली है।
कहां हुई घटना
मृतकों में बालमुकुंद के भाई लाल बालकिशोर नाथ शाहदेव (60) और लाल जयकिशोर नाथ शाहदेव (56) भतीजा लाल प्रमोद नाथ शाहदेव (40) शामिल हैं। लातेहार लोहरदगा जिले की सीमा पर द्वारसेनी पहाड़ी पर उन्‍हें नक्‍सलियों ने गोली मारी। नक्सलियों ने उनके लाइसेंसी हथियार भी लूट लिए। इनमें दोनाली बंदूक और एक राइफल शामिल हैं।

 
25 साल से लड़ रहा है शाहदेव परिवार
^शाहदेव परिवार 25 वर्षों से माओवादियों से लोहा ले रहा है। ये हत्याएं पुरानी रंजिश का परिणाम हैं। विभिन्न पहलुओं पर पुलिस अनुसंधान कर रही है।
मनोज रतन चोथे, एसपी लोहरदगा
 
नक्सलियों के खात्मे तक चलेगा ऑपरेशन
सरकार लगातार अभियान चला रही है। इससे  बौखलाकर उन्होंने यह कार्रवाई की है। नक्सली खात्मे तक ऑपरेशन जारी रहेगा।
सुदर्शन भगत, केंद्रीय राज्यमंत्री
 
हरसंभव सुरक्षा देगी पुलिस
यह घटना काफी दुखद है। भविष्य में सतर्क रहने की जरूरत है। पुलिस की ओर से हरसंभव सुरक्षा दी जाएगी। डीके पांडेय, डीजीपी
 
6 माह में खत्म कर देंगे उग्रवाद : रघुवर
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शाहदेव परिवार के तीन सदस्यों की हत्या की कड़ी भर्त्सना की है। उन्हाेंने कहा है कि यह कायरतापूर्ण कार्रवाई है। छह महीने के भीतर उग्रवाद समाप्त कर दिया जाएगा। जो गुंडे मुखौटा पहनकर गुंडागर्दी कर रहे हैं, उन्हें हम गुंडागर्दी नहीं करने देंगे।
पिकनिक मनाने गए थे मराइन पहाड़ पर
शनिवार को सुबह 10 बजे लाल बालकिशोर नाथ शाहदेव, लाल जयकिशोर नाथ शाहदेव, लाल प्रमोद, लाल प्रदीप, लाल प्रवीण, लाल अनिल व लाल पप्पू नाथ शाहदेव 12 ग्रामीणों के साथ पिकनिक मनाने लातेहार की मराइन पहाड़ पहुंचे। भोजन के बाद सभी बातचीत ही कर रहे थे कि शाम पांच बजे उन्हें सूचना मिली कि माओवादियों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया है। इस पर लाल बालकिशोर ने ग्रामीणों से कहा कि तुमलोग पहाड़ से नीचे उतर जाओ। देर शाम सात बजे ग्रामीण नीचे उतरे, पहाड़ पर पांच गोलियां चलने की आवाज आई।

Tuesday, January 21, 2014

क्‍यों लोग खून के प्‍यासे बन रहे हैं
आजकल लोग अपने ही खून के प्‍यासे बन गए हैं। लोग छोटी छोटी बातों को लेकर अपने बच्‍चों पर गुस्‍सा उतारते हैं, फिर खुद जान देने की कोशिश करते हैं। चतरा डिस्ट्रिक्‍ट के खाप गांव में एक महिला सजरून निशा ने अपने दो बच्‍चों को तालाब में डूबो कर मार डाला और अपने साथ ले गई लगभग चार लाख रूपए को जला डाला। फिर खुद जान देने के लिए कुंए में कूद गई। ऐसा क्‍यों होता है कि कोई महिला अपने आप को काबू में नहीं रख पाती है। सदर थाना एरिया के इलाहीनगर में सैलून दुकान चलानेवाले उस जुल्‍फेकार अंसारी को क्‍या पता था कि वह जिस गरीब लडकी की घर बसाने के लिए जा रहा है। उसके कदम उसे बर्बाद कर देगा। जमीन खरीदने के लिए घर में रखे पैसे को जला दिया जाएगा और जेवरात को तालाब में फेंक दिया जाएगा। उसे तो खैर पैसों के लिए कोई मलाल भी न हो, पर उसका क्‍या जिसने उसे जिंदगी तो दी थी, लेकिन मौत भी उसी ने दे दी। साइक्रियाटिक कहते हैं कि ऐसे लोग मानसिक तौर पर खुद को बीमार मानते हैं। इन्‍हीं बीमारी की वजह से लोग खुदकुशी या हत्‍या तक की वारदात करने से गुरेज नहीं करते। बहरहाल सजरून निशा चतरा पुलिस की गिरफ़त में हैं।

Monday, September 23, 2013


Child sexually abused by bus personnel 
ह्म्ड्डठ्ठष्द्धद्बञ्चद्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श.द्बठ्ठ
क्र्रहृष्ट॥ढ्ढ (२३ स्द्गश्चह्ल) :  16 दिसंबर 2012 याद है. दामिनी ·ा ‘दर्द’ आप भूले नहीं होंगे. दिल्ली ·े मुनिर·ा में चलती बस में मेडि·ल स्टूडेंट ·े साथ ·ी गई दरिंदगी ने पूरे देश ·ी आत्मा ·ो झ·झोर दिया था. अब त·रीबन नौ महीने ·े बाद 23 सितंबर 2013 ·ो रांची में भी वैसी ही चलती बस में घटना ·ो अंजाम देने ·ी ·ोशिश ·ी गई. सबसे दर्दना· बात है ·ि इस बार विक्टिम ए· बच्ची है, जिसे खलासी बबन खान ने चलती बस में सेक्सुअली एब्यूज ·िया. घटना से शॉक्ड बच्ची बस से उतरने ·े बाद लगातार रोती रही.
बदमाश खलासी अं·ल        
जान·ारी ·े अनुसार चलती बस में बदमाश खलासी ने पांच वर्षीया मासूम ·ी इज्जत ·े साथ खिलवाड़ ·िया. इस बार भी घटना ए·दम दिल्ली वाले ·ांड ·ी तर्ज पर अंजाम दिया गया. बस में खलासी ·े अलावा सिर्फ ड्राइवर और ·ंडक्टर थे. बदमाश खलासी जब मासूम बच्ची ·े साथ अपनी खतरना· नीयत ·ो अमलीजामा पहना रहा था, तो दोनों ने ही उसे रो·ने ·ी ·ोशिश नहीं ·ी. ड्राइवर आराम से गाड़ी चलाता रहा और ·ंडक्टर ने चुप्पी साधे रखी.  
भाई ·ो धम·ा ·र चुप ·राया
पैसेंजर ·े नाम पर सिर्फ पांच वर्षीया स्·ूली स्टूडेंट अपने भाई ·े साथ थी. उसे यह पता नहीं था ·ि जो खलासी अं·ल उस·े साथ इतनी हमदर्दी जता रहा है, वह उसे सेक्सुअली एब्यूज·रेगा. बताते चलें ·ि बच्ची ·े प्राइवेट पाट्र्स से खिलवाड़ ·िया गया था. जब बच्ची ·ी मेडि·ल जांच ·ी गई, तो उस·े प्राइवेट पाट्र्स से ब्लड नि·लता पाया गया.
भाई ·े साथ आ रही थी घर
विक्टिम बच्ची ए· प्राइवेट स्·ूल में पढ़ती है. मंडे ·ो मासूम अपने भाई ·े साथ शक्तिपुंज बस पर सवार हो·र घर लौट रही थी. जब वह बस पर सवार हो गई, तो बदमाश खलासी अं·ल ने उसे अपने पास बुलाया और गोद में बैठने ·े लिए ·हा. ऐसा ·रते हुए वह मासूम ·ो पीछे वाली सीट पर ले गया और गोद में बैठा लिया. इस·े बाद उसने जो हर·त ·ी, उसने मासूम ·े दिल ·ो हिला·र रख दिया. जिस·े ·ारण बस से उतरने ·े साथ वह बेतरह रोने लगी. घटना से स·ते में आया उस·ा भाई भी ·लप रहा था.
ड्राइवर और ·ंडक्टर भी थे मौजूद
जान·ारी ·े अनुसार खलासी ने बच्ची ·ो   सेक्सुअली एब्यूज ·िया. घटना ·े वक्त बस में सिर्फ मासूम, उस·ा भाई और खलासी ·े अलावा ड्राइवर व ·ंडक्टर मौजूद थे. स्थिति ऐसी थी ·ि बस में मासूम अपने भाई ·े साथ ·िसी ·ो मदद ·रने ·े लिए भी नहीं बुला स·ती थी. इसलिए भयवश वह चुप रही.
रोने लगे दोनों बच्चे
इधर बस चाल· ने दोनों ·ो हुटार चौ· (खूंटी डिस्ट्रिक्ट) में जैसे ही उतारा ·ि वैसे ही घबराई मासूम बच्ची ने जोर-जोर से रोना शुरू ·र दिया. उसे रोता देख·र वहां गुजर रहे लोगों ने रु··र उस·े रोने ·ा ·ारण पूूछा. लोगों ने पहले सोचा ·ि वह ·िसी चीज ·ो ले·र रो रही है. ले·िन बहन ·ो रोता देख·र जब उस·ा भाई भी रोने लगा, तो इस बार लोगों ·ो श· हुआ. फिर लोगों ·ो उसने पूरी आपबीती बताई.
बस में ·राहती रही बच्ची
जब खलासी बच्ची ·ो तंग ·र रहा था, तो बच्ची दर्द से ·राहती रही. उस·े ·राहने ·ी आवाज ड्राइवर और ·ंडक्टर ने भी सुनी. भाई राहुल गोप अपनी बहन ·ो बचाने ·े लिए उधर दौड़ा भी, ले·िन खलासी ने जब उसे धम·ाया, तो वह भी चुपचाप बस में बैठा रहा. बेबसी और लाचारी उसे बांधे हुई थी. बदमाशी ·रने ·े बाद दोनों बच्चों ·ो हुटार चौ· ·े पास उतार दिया गया. स्टॉप पर उतारते समय उसने दोनों ·ो धम·ी भी दी ·ि यदि इस बात ·ी जान·ारी उसने ·िसी ·ो दी, तो अंजाम बुरा होगा.
खूंटी ·े ए· स्·ूल ·ी है स्टूडेंट
विक्टिम बच्ची खूंटी ·े ए· प्राइवेट स्·ूल में प्रेप ·ी स्टूडेंट है. मंडे ·ो छुट्टी होने ·े बाद वह अपने भाई ·े साथ रांची-खूंटी बॉर्डर पर स्थित हुटार चलांगी गांव आ रही थी. दोपहर दो बजे ·े ·रीब रांची से चाईबासा चलनेवाली बस शक्तिपुंज(जेएच-01जेड- 4773) रांची आ रही थी. उसी ·्रम में विक्टिम बच्ची अपने भाई ·े साथ खूंटी में बस पर सवार हो गई. बस पर ·ोई पैसेंजर नहीं था. इसी ·ा फायदा खलासी बबन खान ने उठाया. बबन खान बुंडू ·े पुराना बाजार ·ा रहनेवाला है.
खदेड़ ·र प·ड़ा आरोपी ·ो
बच्ची ने जब लोगों ·ो पूरी आपबीती बताई, तो लोग आ·्रोशित हो गए.  उन्होंने बस ·ा पीछा ·िया. लोगों ने बस ·ो तुपुदाना ओपी एरिया में प·ड़ा और जम·र धुनाई ·ी. फिलहाल, बस ·े ड्राइवर, ·ंडक्टर और खलासी तुपुदाना ओपी पुलिस ·े ·ब्जे में है.
पुलिस  उनसे घटना ·ो ले·र लगातार पूछताछ ·र रही है.

Thursday, April 12, 2012

सिटी में महिलाएं सेफ नहीं है. आये दिन महिला और स्टुडेंट्स के साथ चेन स्नाचिंग की घटनैयें होती रहती है. यदि हम अन्क्रों पर गौर करें तो फेब्रुरारी से लेकर अप्रैल तक चेन स्नाचिंग की वारदात हुई है.

Tuesday, May 17, 2011

इतिहास बन गई हो खुशबू

२७ अप्रैल,२०११। रांची के सन जेविएर कॉलेज में एक लड़की एग्जाम देने आती है और एक सनकी प्रेमी के द्वारा उसकी गर्दन एक झटके में अलग कर दिया जाता है। आरोपी तो पकड़ लिया जाता है, पर खुशबू इस दुनिया में नहीं रहती है। कॉलेज से लेकर सिटी में चर्चा और कुछ नहीं। नेशनल से लेकर लोकल मीडिया तक में कवरेज की होड़। जिसने सुना और देखा किसी को विश्वास नहीं हुआ।
कैसे हुआ यह सब
प्रेम के दीवाने एक लड़के ने सिटी के चर्चित संत जेविएर कॉलेज में ब्रुटल किलिंग को अंजाम दिया। घटना पौने पञ्च बजे उस समय घटी, जब स्टुडेंट एग्जाम का पेपर देकर क्लास रूम से निकल रही थी। इस घटना से कॉलेज ही नहीं पूरी सिटी में सनसनी फ़ैल गई। कॉलेज के होस्टल में रह रहे लडको ने हताय्रोपी को धर दबोचा। उसकी इतनी पिटाई हुई की उसे हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा. बाद में पता चला की विजेंद्र प्रसाद ने उसकी इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि वह जब अपने नानी घर में थी तो विजेंद्र को उससे प्यार हो गया। खुशबू की कहीं और शादी ठीक हो गयी। इसका दर्द वह नहीं सह सका और उसने जूनून में उसकी हत्या कर दी। जमशेदपुर का लड़का विजेंद्र प्रसाद फिहाल जेल में है।

Monday, June 28, 2010

आखिर कुंदन है कहाँ


झारखण्ड में जिधर देखो, कुंदन पाहन की ही चर्चा निकलती हैuu। यदि पुलिस होती है तो पुलिस कहती है की कुंदन पाहन के दस्ते से इन्कोउन्टर हुआ है और वो फरार हो गया है। पुलिस सर्च अभियान चला रही है। आईसीआईसीआई बैंक के पांच पांच करोड़ लूटकांड, विधायक रमेश सिंह munda हत्याकांड सहित कई नक्सली घटनाओ को अंजाम देनेवाले कुंदन पाहन कहाँ है. इस सवाल का जवाब न तो रांची पुलिस को पता है और न ही यहाँ की स्पेशल ब्रांच को. अब सवाल उठता है की कुंदन पाहन को जमीन खा गई या आसमान निगल गया. किसी को कुछ पता नहीं. जहाँ तक मुझे पता है, उसी के गिरोह में शामिल एक कैडर रांची आया था और उसने एक व्यक्ति को कहा था की कुंदन पाहन की मौत हो चुकी है और उसका कब्र बरिगढ़ा में दफ़न कर दिया गया है. हालाँकि उनलोगों ने यह भी कहा था की संघटन में उसके नामे को जिन्दा रखना है. इसलिए उनके नाम को जिन्दा रखना है. इधर रांची पुलिस हर बार यह कहती है की कुंदन पाहन अभी जिन्दा है और वह संघटन चला रहा है. मेरा कहना है की यदि वह जीवित है तो पुलिस के फुंडे में अब तक क्यों नहीं आया है. कहाँ है कुंदन पाहन. पुलिस उसके एरिया में सर्च अभियान चलती है, उसके सपोर्टर पकडे जाते हैं, लेकिन वह पकड़ा नहीं जाता. पुलिस ने उस पर पांच लाख का इनाम भी रखा है. हालाँकि यह कहा गया था की जनवरी महीने में ही अनघरा में हुए इन्कोउन्टर में गोली लगी थी और गोली उसके अंडकोष में लगी थी. पुलिस के चारों तरफ घेराबंदी के कारन कुंदन गुफाओं में छिपकर रहा. प्रोपर इलाज नहीं होने से उसकी वहीँ मौत हो गयी.
मैं यहाँ यह बता दूं की लोग उसे रोबिन हुड से पुकारते हैं. इलाका में सभी उसे भगवान् मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं. कुंदन के गाँव में दिन में कोई मेल मेम्बर नहीं रहता है. वे लोग जंगले में दिन बिताते हैं और रात को घर लौटते हैं. गाँव में दुसरे लोग जाने की हिम्मत नहीं करते हैं. वह अपने एरिया में लोगों की बेटिओं की शादी में पैसे से मदद भी करता है.
अब लोग कर रहे हैं उसका विरोध
अब पुरे झारखण्ड में इस बात की अफवाह है की कुंदन से लोग नफ़रत करने लगे हैं. इस सम्बन्ध में जब उसके सपोर्टर से बात की तो पता चला की पुलिस दबिश के कारन उनलोगों को ऐसा करना पड़ रहा है. क्योंकि पुलिस हर बार गाँव में आती है और सर्च के बहाने घरों को तोड़फोड़ डालते हैं. पुलिस महिलाओं को तंग करती है. यही कारन है की मेल मेम्बर दिन में घरों से गायब रहते हैं. यदि हम उसकी पारिवारिक जीवन के पीछे जाएँ तो यह पता चलता है की उसने पून्जिप्तिओन ने उसके भाई की हत्या कर दी थी.

पोस्टर से कुंदन की खोज रांची पुलिस इन दिनों पोस्टर के जरिये कुंदन पाहन की खोज हो रही है. पोस्टर में उसे खलनायक की संज्ञा दी है. अब सवाल यह उठता है की वह रोबिन हुड है या खलनायक.