Tuesday, January 21, 2014

क्‍यों लोग खून के प्‍यासे बन रहे हैं
आजकल लोग अपने ही खून के प्‍यासे बन गए हैं। लोग छोटी छोटी बातों को लेकर अपने बच्‍चों पर गुस्‍सा उतारते हैं, फिर खुद जान देने की कोशिश करते हैं। चतरा डिस्ट्रिक्‍ट के खाप गांव में एक महिला सजरून निशा ने अपने दो बच्‍चों को तालाब में डूबो कर मार डाला और अपने साथ ले गई लगभग चार लाख रूपए को जला डाला। फिर खुद जान देने के लिए कुंए में कूद गई। ऐसा क्‍यों होता है कि कोई महिला अपने आप को काबू में नहीं रख पाती है। सदर थाना एरिया के इलाहीनगर में सैलून दुकान चलानेवाले उस जुल्‍फेकार अंसारी को क्‍या पता था कि वह जिस गरीब लडकी की घर बसाने के लिए जा रहा है। उसके कदम उसे बर्बाद कर देगा। जमीन खरीदने के लिए घर में रखे पैसे को जला दिया जाएगा और जेवरात को तालाब में फेंक दिया जाएगा। उसे तो खैर पैसों के लिए कोई मलाल भी न हो, पर उसका क्‍या जिसने उसे जिंदगी तो दी थी, लेकिन मौत भी उसी ने दे दी। साइक्रियाटिक कहते हैं कि ऐसे लोग मानसिक तौर पर खुद को बीमार मानते हैं। इन्‍हीं बीमारी की वजह से लोग खुदकुशी या हत्‍या तक की वारदात करने से गुरेज नहीं करते। बहरहाल सजरून निशा चतरा पुलिस की गिरफ़त में हैं।

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